श्रावस्ती । क्या कोई व्यक्ति 205 साल का हो सकता है। विज्ञान भले ही कुछ कहे, लेकिन भारत-नेपाल सीमा पर जनपद श्रावस्ती के उत्तरी छोर पर स्थित जगपति नाथ मन्दिर के 205 वर्षीय बाबा स्वामी दयाल जी महाराज का दावा है कि उनकी उम्र दो सौ पांच साल है। बाबा के सम्बन्ध में जानकारी रखने वालों का दावा है कि बाबा दो सदी से अधिक पुराने हैं। काठमाण्डू में 20 मार्च 1805 को जन्मे स्वामी दयाल जी महराज इससे पहले अल्मोड़ा, देहरादून, उत्तरकाशी, काशी, हरिद्वार आदि स्थानों पर रह चुके हैं। विगत 90 वर्षों से जगपति नाथ मन्दिर पर रह रहे हैं। राप्ती नदी के तट पर बसे इस मन्दिर के बारे में बाबाजी कहना है कि जिस समय वे यहां पर आये यह घना जंगल था। दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं थी। वन्य जीव खुलेआम विचरण करते थे। बहुत कम लोग इस स्थान पर पहुंच पाते थे। अब तो सैकड़ों लोग इस स्थान पर पहुंचने लगे हैं जिससे उनकी दिनचर्या पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बाबा जी कहना है कि जब सन् 1857 में गदर हुआ था उस समय वे काशी (बनारस) में थ1। बाबाजी विगत 100 वर्षों से भोजन नहीं ग्रहण कर रहे हैं। बाबा के बारे में दीर्घ उम्र की प्रमाणिकता के बारे में जानकारी देते हुए 102 वर्षीय लाल किशोरी लाल निवासी भिनगा बताते हैं कि बचपन से ही बाबा के बारे में सुनता हूं हम लोगों के बचपन में बाबा 100 वर्ष की उम्र से अधिक के थे। नेपाल राज्य के पूर्व सांसद दिनेश चन्द्र यादव बताते हैं कि उनके चार पुश्तों के पुरखे बाबा जी के शिष्य रहे हैं तथा उनके पिता की समाधि बाबाजी के आश्रम पर है। जमुनहा क्षेत्र के कई गांवों के बुर्जुगों से पूछताछ की गयी तो सभी लोगों ने एक स्वर से बताया कि बाबा को कई दशकों से इसी रूप में देख रहे हैं। बाबा जी बाकेश्वरी मन्दिर नेपाल में हनुमान मन्दिर के महन्थ हैं नेपाल राष्ट्र से उनको सरकारी भत्ता भी मिल रहा है तथा 500 बीघा जमीन भी उन्हें मिली थी। बाबा जी का कहना है कि वे महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू के साथ जेल भी गये हैं बाबा को अंग्रेस अफसर लाल पगड़ी कहकर पुकारते थे। बाबाजी ने सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय आदि नेताओं से मुलाकात भी की है। बाबाजी काशी के जूना अखाड़ा से सम्बद्ध बताये जाते हैं वे वन्य जीव प्रेमी हैं उनके यहां हिरन खरगोश व अन्य पशु पक्षी विचरण किया करते हैं। बाबाजी भगवान दत्तात्रेय के भक्त हैं और योग तथा पूजा में व्यस्त रहते हैं बहुत भीड़भाड़ नहीं बर्दाश्त करते हैं एकान्त में रहते हैं। |