जब हम छोटे थे तो हमारी टूटी फूटी बातो को कोई नहीं समझ पता था तब एक हस्ती थी जो हमारे टूटे फूटे अल्फाजो को समझ जाती थी
आज उसको हम कहते है की आप नहीं समझ सकती
आप को कुछ नहीं पता है
आप की बाते हमें समझ में नहीं आती
शायद एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई जब
एक बार मै उससे बोला था की माँ मुझे डर लग रहा है
koi jabab nahi
ReplyDeletekya kahna