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Saturday, June 5, 2010




अरुणांचल प्रदेश भारत के उत्तर पूर्वी राज्य है अरुणांचल का अर्थ होता है सूर्य का आँचल पुरे भारत में सबसे पहले सूर्य की किरण अरुणांचल प्रदेश में आती है उसके बाद फिर पुरे भारत में अपना पसारती है अरुणांचल प्रदेश की राजधानी इटानगर है इंट से बने कई किलाओं के कारण इस नगर का नाम इटानगर पड़ गया इटानगर राजधानी के साथ साथ प्रदेश का सबसे शहर भी है यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी और असमिया है अब धीरे धीरे यहाँ इंग्लिश भी लोकप्रिय हो रही है प्रसिद्ध लेडो बर्मा रोड का भाग राज्य से होकर गुजरता है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस सड़क ने चीन के लिये एक जीवन रेखा की भूमिका निभाई थी। अरुणांचल प्रदेश में 16 जिले है यह अपने पहाड़ी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।सन् 1972 ई। तक अरुणाचल नार्थ ईस्ट फ्रोन्डियर एजेन्सी के नाम से जाना जाता था। 20.01.1972 में उसे संघ शासित क्षेत्र की मान्यता मिली। उसके बाद वह अरुणाचल प्रदेश नाम से जाना जाने लगा। 20 फरवरी 1987 इसे राज्य के रूप में मान्यता मिली। इसकी पहली राजधानी नहरलगन थी, अब ईटानगर गया. अरुणाचल का ज्यादातर हिस्सा हिमालय से ढका है। यहॉं सेब, संतरा, आदि के फलदार वृक्ष पायें जाते है 63% अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध हैं। इनमे से अधिकांश तो तिब्बती बर्मी या ताई बर्मी मूल के है बाकी 35 % जनसंख्या आप्रवासियों की है। राज्य की साक्षरता दर 1991 में 41,59 % से बढ़कर 54,74 % हो गयी 487796 व्यक्ति साक्षर है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल की 20 % जनसंख्या के प्रकृतिधर्मी हैं जो जीववादी धर्म जैसे डोन्यी पोलो और रंग्फ्राह का पालन करते है। मिरी और नोक्ते लोगों को मिलाकर लगभग पैंतीस प्रतिशत हिन्दू हैं। राज्य की 13% जनसंख्या बौद्ध है। तिब्बती बौद्ध धर्म मुख्यतः तवांग पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों मे प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध धर्म का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है। लगभग 19 % आबादी ईसाई धर्म के अनुयायी है। राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। झुम खेती जो आदिवासी समूहों के बीच पहले व्यापक रूप से प्रचलित थी अब कम लोगों मे प्रचलित है। अरुणाचल प्रदेश के करीब 61000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जंगलों से ढका है, और वन्य उत्पाद अर्थव्यवस्था का सबसे दूसरा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। अरुणाचल फलों के उत्पादन के लिए भी आदर्श स्थान है। यहाँ प्रमुख उद्योग आरामिल और प्लाईवुड को कानून द्वारा बंद कर दिया गया। चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयों हस्तशिल्प और हथकरघा आदि अन्य प्रमुख उद्योग हैं। चावल, मक्का, गेहूं, बाजरा, दाल, गन्ना, अदरक, फल, सब्जी, और तिलहन प्रमुख है

मुख्य पर्यटन स्थल

  1. किला

    ईटानगर में पर्यटक ईटा किला भी देख सकते हैं। इस किले का निर्माण 14-15वीं शताब्दी में किया गया था। इसके नाम पर ही इसका नाम ईटानगर रखा गया है। पर्यटक इस किले में कई खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। किले की सैर के बाद पर्यटक यहां पर पौराणिक गंगा झील भी देख सकते हैं।
  2. पौराणिक गंगा झील

    यह ईटानगर से 6 किमी। की दूरी पर स्थित है। झील के पास खूबसूरत जंगल भी है। यह जंगल बहुत खूबसूरत है। पर्यटक इस जंगल में सुन्दर पेड़-पौधे, वन्य जीव और फूलों के बगीचे देख सकते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को इस झील और जंगल की सैर जरूर करनी चाहिए।
  3. बौद्ध मंदिर

    हां एक खूबसूरत बौद्ध मन्दिर है। बौद्ध गुरू लाई लामा भी इसकी यात्रा कर चुके हैं। इस मन्दिर की छत पीली है और इस मन्दिर का निर्माण तिब्बती शैली में किया गया है। इस मन्दिर की छत से पूरे ईटानगर के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। इस मन्दिर में एक संग्राहलय का निर्माण भी किया गया है। इसका नाम जवाहर लाल नेहरू संग्राहलय है। यहां पर पर्यटक पूरे अरूणाचल प्रदेश की झलक देख सकते हैं।
  4. इसके अलावा यहां पर लकड़ियों से बनी खूबसूरत वस्तुएं, वाद्ययंत्र, शानदार कपड़े, हस्तनिर्मित वस्तुएं और केन की बनी सुन्दर कलाकृतियों को देख सकते हैं। संग्राहलय में एक पुस्ताकलय का निर्माण भी किया गया है। इसके अलावा भी यहां पर पर्यटक कई शानदार पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं। इन पर्यटन स्थलों में दोन्यी-पोलो विद्या भवन, विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी उद्यान और अभियांत्रिकी संस्थान प्रमुख हैं।

  5. अरूणाचल प्रदेश का पापुम पेर बहुत ही खूबसूरत स्थान है। इसका मुख्यालय युपिया में स्थित है। यह ईटानगर से 20 किमी। की दूरी पर स्थित है। पापुम पेर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। इस कारण पर्यटक यहां पर अनेक चोटियों को देख सकते हैं। चोटियों के अलावा पर्यटक यहां पर अनेक जंगलों, दियों और पर्यटक स्थलों को भी देख सकते हैं। इसकी उत्तरी दिशा में कुरूंग कुमे, पूर्व में निचला सुबांसिरी, पश्चिम में पूर्वी कमेंग और दक्षिण में असम स्थित है। यहां पर निशी जाति के लोग रहते हैं। यह अपनी वीरता के लिए जाने जाते हैं। निशी के अलावा यहां पर मिकीर जाति भी रहती है। निशी जाति के लोग इण्डो-मंगोल प्रजाति से संबंध रखते हैं और इनकी भाषा तिब्बत-बर्मा भाषा परिवार से संबंधित है। निशी जाति के लोग फरवरी के पहले हफ्ते में अपना उत्सव भी मनाते हैं। इस उत्सव का नाम न्योकुम है। यहां पर अनेक पर्यटन स्थल भी हैं। इन पर्यटन स्थलों की यात्रा करना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। पापुम पेर में कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं। इसके अधिकतर पर्यटन स्थल ईटानगर, दोईमुख, सिगेली और किमीन में स्थित है। इन पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के लिए पर्यटकों को अरूणाचल प्रदेश के सरकारी कार्यालयों से परमिट लेना पड़ता है।

डिरांग घाटी का मनोरम दृश्य
एक नजर इसे भी पढ़े
अरुणांचल प्रदेश चीन की सभ्यता से काफी मिलता जुलता है। फिर भी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री फिल्म सूटिंग के लिए चीन जाती है। अरुणांचल प्रदेश के लोग चाईनीज जैसे लगते है। जैसे पहाड़ी, पर्यटक स्थल और लोगो का हाव भाव, अधिकांश चीजे चीन से मिलती है। फिर भी किसी चाईनीज रोल के लिए भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री चीन क्यों जाती है। जो पैसा चीन में जा रहा है, वो भारत में ही रहे तो भारतीय लोगो का कितना विकास हो।
पहाड़ो, बर्फ की चट्टानों, घाटीओं के दृश्य, आदि कई तरह के शूटिंग के लिए भारतीय सिनेमा विदेशो में जाते है। जब की वो सभी सीनरी भारत में मौजूद है।
भारत सरकार भी इस प्रदेश को पूरी तरह से विकसित नहीं कर रहा है। अगर भारत सरकार इस प्रदेश को विकसित करे तो यह प्रदेश पुरे विश्व में एक अलग छाप छोड़ेगा। विश्व के प्रमुख पर्यटक स्थलों में इसका भी प्रमुख स्थान होगा।
तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा तवांग यात्रा के दौरान इस प्रदेश को भारत का सबसे खुबसूरत और स्वच्छ हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा था कि यह यात्रा मेरे जीवन कि सबसे विशुद्ध और बेहतरीन यात्रा है।
दलाई लामा के दौरे का चीन द्वारा विरोध किए जाने के बारे में 75 वर्षीय सेरिंग ने कहा कि दलाई लामा कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा ‘इस तरह के बेतुके बयान देकर चीनी स्थानीय निवासियों के दिलों से भी दूर होते जा रहे हैं।


बाजारों में चीनी सामानों, चीनी संगीत की सीडी की भरमार है लेकिन बॉलीवुड की फिल्मों की लोकप्रियता का इनसे कोई मुकाबला नहीं है। वीडियो शॉप ‘म्यूजिक वल्र्ड’ के मालिक रिचानी कहते हैं कि कभी-कभार वे तिब्बती भाष में चीनी गानों के वीडियो बेचते हैं। लेकिन हिंदी फिल्मों के वीडियो कैसेट्स के लिए लोग दीवाने हैं।

अरुणाचल प्रदेश के मोनपा स्थानीय निवासी हिंदी संगीत और बॉलीवुड सितारे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय के दीवाने हैं। अरुणाचल प्रदेश में लोगों को तिब्बती गीत और हिन्दी फिल्में अच्छी लगती हैं।

बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर्स यानी लोकप्रिय सुपरहिट हिन्दी फिल्मों के लिए उनकी दीवानगी उन्हें पूर्वोत्तर में अन्य लोगों से अलग बना देती है। स्थानीय निवासी शीला सेरिंग कहती है कि मेरी 12 साल की बेटी ने दलाई लामा की धार्मिक सभा में जाने के बजाय शाहरुख की नई फिल्म देखना पसंद किया।

स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों में बॉलीवुड के सितारे खासे लोकप्रिय हैं। कॉलेज की छात्रा मोनपी लामा कहती है कि हम अमिताभ, शाहरुख और ऐश्वर्या की कोई भी फिल्म नहीं छोड़ते।

यहाँ के लोगो में भारतीय सिनेमा के प्रति काफी रूचि है। फिर भी भारतीय सिनेमा यहाँ आकर फिल्म सूटिंग नहीं करते।

अरुणांचल प्रदेश के उगते सूरज का एक झलक
अरुणाचल प्रदेश का सौन्दर्य अनचीन्हा है. यहाँ आप आयें तो पाएंगे अरे यही तो अपना भारत है. हिमालय की चोटियाँ हरियाली और भी बहुत कुछ.. पेश है अरुणाचल का सूर्योदय---

अरुणाचल में सूरज भारत में सबसे पहले उगता है..लेकिन ऊँची-नीची घाटियों में छाया धुंधलका अप्रतिम है.


जब आप वहां पहुंचेगे, तो हवा में व्याप्त वनस्पतियों की हरी गंध और चिड़ियों की चहचाहाहट... मीठा संगीत.. सन्नाटा मिलेगा भी और नहीं भी, यहाँ का सौन्दर्य देखेंगे तो सपनो में खो जायेंगे.........

अरुणाचल में संतरों की खेती होती है.. लेकिन तेजू (अरुणाचल का एक छोटा लेकिन खूबसूरत शहर ) के विकास पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा है. तेजू में अभी भी सिर्फ २ चौक और २ ही होटल हैं.


चीन ने अरुणाचल में बुद्ध की प्रतिमा तोड़ी


 <span title=चीन ने मोर्टार हमला करते हुए अरुणाचल प्रदेश के बमला में महात्मा बुद्ध की एक प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया। यह घटना पिछले साल अक्तूबर की है और इसका खुलासा अरुणाचल प्रदेश से बीजेपी के सांसद के. रिज्जू ने किया।

यहां रिज्जू ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को संसद में नहीं उठाया क्योंकि इससे चीन-भारत संबंधों पर असर पड़ सकता था। उन्होंने कहा कि वह इसका खुलासा अब इसलिए कर रहे हैं क्योंकि लोग सोच सकते हैं कि केंद्र ने विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के जरिए 9 नवंबर को तवांग में संदेश दिया कि दुनिया की कोई भी शक्ति अरुणाचल को भारत से अलग नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, हम कार्रवाई चाहते हैं, न कि जबानी जमा खर्च। रिज्जू ने कहा कि चीनी लगातार अरुणाचल में भूभाग पर कब्जा कर रहे थे। उन्होंने कहा, हम पहले ही सामदोंग चू घाटी और आशा पिल्ला में अपने हरित क्षेत्रों को खो चुके हैं। बीजेपी सांसद ने कहा कि केंद मैकमोहन रेखा के पास सड़क निर्माण और अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण कराए ताकि 1962 के युद्ध के बाद से बंद पारंपरिक सीमा व्यापार को फिर से शुरू किया जा सके।


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर चीन के आपत्ति जताए जाने के बीच कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि पूर्वोत्तर का यह प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है।

राहुल ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'अरुणाचल प्रदेश एक भारतीय राज्य है, तमिलनाडु एक भारतीय राज्य है, झारखंड एक भारतीय राज्य है। इन सभी राज्यों के लिए मेरा रवैया एक जैसा है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। मेरे लिए अरुणाचल प्रदेश किसी अन्य राज्य की तरह ही है। इसमें कोई अंतर नहीं है।'

कांग्रेस महासचिव से पूछा गया था कि जब चीन ने प्रधानमंत्री के अरुणाचल प्रदेश जाने पर आपत्ति जताई है, तो ऐसे में वह इस राज्य में युवक कांग्रेस को कैसे मजबूत करेंगे। बहरहाल, राहुल ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया जिसमें पूछा गया था कि पेईचिंग जब ऐसी आपत्ति जता रहा है तो ऐसे में चीन के साथ संबंधों में सुधार कैसे होगा।

तवांग मे जैसे ही प्रवेश करते है तो हर तरफ भारतीय सेना के जवान ,सेना की कारें,ट्रक,वगैरा बहुत दिखाई देते है क्यूंकि तवांग चीन और भारत के बार्डर का डिस्ट्रिक्ट है। १९६२ मे जब चीन ने (sino-india war) भारत पर आक्रमण किया था और चीनी सैनिक भारत मे प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे उस समय तवांग मे तैनात भारतीय सैनिकों ने अपूर्व जौहर और हिम्मत से चीनी सैनिकों का सामना किया था और उन्हें भारत मे प्रवेश करने से रोका था।इस लड़ाई मे २४२० भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए थे और इन्ही शहीदों की याद मे ये memorial बनाया गया है। ये memorial तवांग शहर से १ कि.मी.की दूरी पर है और यहां तक जाने मे रास्ते मे दोनों तरफ सेना के शिविर और सड़क के दोनों ओर बहुत सारे बोर्ड ,झंडे और मूर्तियाँ अलग-अलग रेजिमेंट के बहादुर सैनिकों की दिखाई देती है। और इस १ कि.मी.के रास्ते मे सेना के जवान आते-जाते हुए भी दिखाई देते है।
इस memorial का निर्माण १५ अगस्त १९९८ मे शुरू हुआ था और २ नवम्बर १९९९ को इसे उन २४२० शहीदों को समर्पित किया गया जिन्होंने चीनी सैनिकों से लड़ते हुए अपनी जान अपने देश पर कुर्बान कर दी थी। इस memorial की ख़ास बात ये है कि ये तवांग के तकरीबन पूरे शहर से दिखाई देता है।
जैसे ही इस war memorial के गेट से प्रवेश करते है तो दाहिनी ओर एक बोफोर्स तोप दिखाई पड़ती है और इसी के पास कार पार्किंग भी है। यहां से थोडा आगे बढ़ने पर भगवान बुद्ध की सफ़ेद मूर्ति बनी हुई है। यहां पर जैसे ही कार से उतरते है तो सामने सीढियां दिखाई देती है और इन सीढ़ियों के प्रवेश द्वार पर खड़े होकर देखने पर यहां बना ४० फीट ऊँचा स्तूप दिखाई देता है ।

इस
war memorial मे बुद्ध धर्म की झलक साफ़ दिखाई पड़ती है -प्रवेश द्वार और ऊपर भी । सीढ़ियों से ऊपर जाने पर धर्म चक्र (monestary जैसे )दिखाई पड़ते है । यहां स्तूप के चारों ओर दीवारों पर उस युद्ध मे शहीद हुए सभी जवानों के नाम उनकी रेजिमेंट के साथ लिखे हुए है ।
इस war memorial मे ऊपर की तरफ भारतीय झंडे के साथ साथ सभी रेजिमेंट के झंडे लगे हुए है । रोज सुबह सूर्योदय के साथ इन्हें फहराया जाता है । और हर रोज शाम ५ बजे जब सूरज ढलने लगता है यानी सूर्यास्त के समय इन सभी झंडों को बिगुल की धुन के साथ उतारा जाता है और इसे देखना भी अपने आप मे एक अनुभव है।इसका विडियो you tube पर लगाया हुआ है ।


इस स्मारक के चारों पत्थर लगे हुए है जिनपर शहीदों के लिए लिखा हुआ है कि किस तरह उन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए देश के प्रति अपना फर्ज निभाया था।
थोडा और आगे बढ़ने पर एक कमरे मे सूबेदार जोगिन्दर सिंह जी की प्रतिमा बनी है जिसके नीचे एक रीथ रक्खा हुआ है और साथ ही वहां पर राइफल्स और शहीद हुए जवानों की अस्थियाँ भी रक्खी हुई है। दीवार पर मेड़ेल्स लगे हुए है और इस लड़ाई के बारे मे लिखा हुआ है। जोगिन्दर सिंह जी की मूर्ति के नीचे किस बहादुरी और अदम्य साहस के साथ उन्होंने चीनी सेना से लड़ाई की लिखा हुआ है और जिसे पढ़कर सिर अपने आप उनकी शान मे झुक जाता है।यहां से आगे बढ़ने पर एक और कमरा पड़ता है जिसमे उस समय इस्तेमाल की गयी राइफल्स और गोलियां रक्खी है। और यहां पर दीवारों मे उस समय लड़ाई की फोटो लगी हुई है। साथ ही एक नक्शा भी लगा हुआ है। जिसके माध्यम से उस समय जैसे-जैसे लड़ाई आगे बढ़ी थी उसे दर्शाया गया है। जिसे पढ़कर और देख कर अपने देश के लिए जान कुबान करने वाले शहीदों पर नाज होता है ।

war memorial से बाहर आने पर बायीं ओर गिफ्ट शॉप पड़ती है जहाँ पर्यटकों की काफी भीड़ होती है.


2 comments:

  1. jindgi jahan bahut khubsurat lagati hai.

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  2. Brother! Great ... Ahrunaanchal state does not need to go read it if this blog.

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