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Wednesday, December 15, 2010


भ्रष्ट राजनीति की देन नक्सली
राजन कुमार
अरूधंती ने अभी पिछले दिनो नक्सलियों को देशभक्त कहा था। अरूधंती ने नक्सलियों को देशभक्त क्यों कहा था। उन्होनेनक्सलियों के अंदर क्या देशभक्ति देखी थी। अरूधंती जानी मानी लेखिका है। उनकों बहुत ज्ञान है। आखिर उन्होने क्यों कह दिया कि नक्सली देशभक्त है। नक्सलियों के अंदर उन्होने देशभक्ति देखी होगी तभी तो उन्होने कहा कि नक्सली देशभक्त हैै। आखिर क्यों न कहें कि नक्सली देशभक्त है। नक्सली देशभक्त है और नक्सली देश भक्त रहेंगे। यह बात पूर्ण रूप से सच है कि नक्सली देश भक्त है। यह सच्चार्ई पोलिटिशियनों को नही पचती । क्यों कि बात पूर्ण रूप से सच है। सच्ची बात कभी भारत के भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को पच नही सकती । जहां पर लोग जागरूक है वहां नेता इतने घोटाले कर रहें है तो जहां नक्सली अशिक्षित है उनके साथ ये भ्रष्ट नेता क्या किये होगे। उनको तो ये पूर्ण रूप से लूटने की कोशिश की होगी। लूटने की कोशिश तो देर की बात उन गरीब नक्सलियों के संपत्ति को लूट ली। तभी तो ये आदिवासी नक्सली बन गये। हर कोई जानता है कि कोई भी व्यक्ति गलत कदम क्यों उठाता है। किसके वजह से उठाता है। जब किसी के साथ अन्याय होता है अन्याय सहने भर की क्षमता नही रहती है तो वह नक्सली बन जाता है। क्या अन्याय का विरोध करना देशभक्ति नही है। अन्याय का विरोध करना देशभक्ति है। अन्याय करने वालों को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन नही मिल पाती है। क्यों कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला ही अन्याय कर रहा है तो उसको सजा कौन देगा। वहीं नेता है। कोई भी नेतो चुनाव से पहले जनता की खूब विनती करता है। लेकिन जब वह चुनाव जीत जाता है तो जनता को अपने जूते की धूल समझने लगता है। वह जनता को मूर्ख समझता है। जो उसे अपना मतदान देकर उसे सत्ता दिया। अरूधंती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया क्यों कि उन्होने नक्सलियों को देशभक्त कहा। एफआईआर दर्ज कराने वाले ये भ्रष्ट नेता ही थे। जिन्हे ये बात पची नही और अरूधंती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया। क्यों कि वे भ्रष्ट नेता जानते है कि अगर ऐसे लेखकों को नही रोका गया तो सभी भ्रष्टाचार के पोल खुल जायेंगे। जो वे कुर्सी के भ्रष्टाचार की हदे पार की है उसकी पोल खुल जायेगी। अगर अभी से इस चिंगारी को नही रोका गया तो आगे चलके लेखकों की चिंगारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आग बनके काम करेगी और सभी भ्रष्ट नेताओं की पोल खोलेगी। कौन ऐसी पार्टी नही है जिसके नेता भ्रष्ट न हो। कौन ऐसा नेता नही जो भ्रष्ट न हो। संविधान मे ये कहा गया है कि जिसके खिलाफ एक भी मुकदमा हो या वह किसी जुर्म मे जेल गया हो वह चुनाव नही लड़ सकता । लेकिन आज के समय मे वहीं लोग चुनाव लड़ते है जिन पर अनेको मुकदमे हो । जो पेशावर क्रिमीनल हो। क्राईम उसका मुख्य पेशा हो। ऐसे ही लोग चुनाव लड़ते है। अगर कोई सज्जन व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो उसे मार दिया जाता है। सभी देखते है सभी जानते है लेकिन कोई कहता है। क्यों कि सभी भ्रष्ट है। कौन कहेगा? जो कहेगा वो मौत पायेगा। फिल्मे सभी देखते है। इन फिल्मो मे क्या दिखाया जाता है। वहीं जो समाज मे होता है। इन फिल्मो के अन्दर जो एक्टिंग दिखाई जाती है। वो समाज का आईना है। जो समाज मे होता है वहीं फिल्मो मे दिखाया जाता है। भारत के इतिहास मे जो था आज का समय ठीक उसके उलटा है। भारत के इतिहास मे झांक कर देखा जाये तो राजा अपनी प्रजा के लिए जान देने को तैयार रहते थे। लेकिन आज का समय यह है कि वोट के लिए किसी कत्ल कर दिया जाता है कहीं डराया जाता है कहीं धमकाया जाता है। जहां जनता जागरूक है वहां लोगों से अच्छे अच्छे वादे किये जाते और वो सारे वादे चुनाव जीतने के बाद भुल जाते है। कौन नही जानता है राजनीति पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुकी है। मगर खुल के कोई कहता नही है। जो कहना चाहता है उसका कोई सपोर्ट नही करता और कुछ दिन बाद उसका मर्डर करवा दिया जाता हैँ। तरह तरह के एनजीओ बनाये जा रहे है। ताकि भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सके। लेकिन उन संगठनों को भ्रष्टाचार की हवा लग जा रही है। दुनिया मे कई सर्वे जो यह बताते है कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों मे आता है। आखिर क्यों सबसे भ्रष्ट देशो की गिनती मे भारत का नंबर आता है। जब देश मे भ्रष्टाचार हो रही है तभी तो अपने देश को सबसे भ्रष्ट देशो की सूची मे रखा जा रहा है। इस देश के जो नेता है वहीं तो इस देश को चला रहे है। जब वह भ्रष्ट है तो देश का नाम सबसे भ्रष्ट देशो की सूची मे क्यों नही आयेगा। भारत की कोई भी पार्र्टी है उसमे कौन सच्चा नेता है? कोई नही। हर पार्टी के नेता भ्रष्ट है। भ्रष्टाचार फैला रहे है और देश की जनता को और भूखे मरने पर मजबूर कर रहे है। आज बहुत ऐसे गांव है जहां लोग भूखे मरते है। किसी एक वक्त की रोटी नसीब नही होती। तो किसी सर पर छत नही है। बहुत बेघर है।तो बहुत को पहनने के लिए कपड़े नही है। सरकार के तरफ से जो गरीबों के लिए स्कीम चली है। अगर वो गरीबो तके पहुंचे तो अब तक भारत मे गरीबी कभी की खत्म हो जाती लेकिन उन्ही गरीबो के पैसे नेता, आधिकारी मिल कर खा जाते है। जिससे उन गरीबो की स्थिती ज्यों की त्यों रह जाती हैै। सच्ची लेख, सच्ची बातें उन्ही को बुरी लगती हे जो पूर्ण रूप से भ्रष्ट होते है। और देश मे भ्रष्टाचार खत्म करने के बजाय भ्रष्टाचार फैलाते है। जहां कुछ लोग जागरूक है वहां ये हाल है तो उन आदिवासीयों के साथ ये नेता क्या करते होंगे जो पूर्ण अनेको अशिक्षित है। उनके पास शिक्षा का अभाव है जिससे वो कोई उचित कदम नही उठा पाते जिससे उनका भला हो सके। जब वे भ्रष्ट नेताओं के भ्रष्टाचार से उब जाते है तो नक्सली का रूप धारण कर लेते है सरकार से मोर्चा लेने के लिए तैयार हो जाते है। कोई नही चाहता खून - खराबा। लेकिन भ्रष्ट नेता सीधे-सादे लोंगों को नक्सली, अपराधी, चोर, वेश्या आदि बनने पर मजबूर कर देते है जिससे उन्हे गलत कदम उठाना पड़ता है। आज के समय कितने घोटालों की पोल खुल रही है। लेकिन उन घोटालों के प्रति क्या कार्रवाई हो रही है। जो कुछ थोड़ी बहुत कार्रवाई हो रही है वो जनता को दिखाने के लिए हो रही है जिससे वोट मिल सके। जिनके खिलाफ कार्रवाई हो रही उनको कोर्ट सजा सुना रही है उसके बाद फिर वहीं कोर्ट फिर उनको जमानत दे रहा है। जब जनता ये सब देखेगी तो क्या करेगी। वह चाहेगी कि उसे वोट न दे । लेकिन किसे न दे । किसी को तो वोट देना पड़ेगा। इसलिए आज जो भी राजनीति मे सब भ्रष्ट है। जनता अफसोस करके किसी न किसी को वोट दे देती है। लेकिन जिनसे भ्रष्टाचार सहा नही जाता है वो नक्सली, अपराधी, आतंकवादी आदि आपराधिक पेशा अपनाने पर मजबूर हो जाते है।

Thursday, December 9, 2010

असांज या सद्दाम
अपनी सनक की हद में जिस तरह जॉर्ज बुश ने इराक के शासक सद्दाम हुसैन को विलेन ठहराते हुए मार डाला था, आज कुछ वैसा ही माहौल विकीलीक्स के संसथापक जूलियन असांज के खिलाफ बनाने की कोशिश
हो रही है। विकीलीक्स पर हुए खुलासों के बाद अंदर से बुरी तरह भयभीत अमेरिका को इस समस्या का हल किसी भी तरह असांज से छुटकारा पाने में नजर आ रहा है। इसके लिए वह अपने मित्र देशों से मदद की अपेक्षा कर रहा है। कनाडा के पीएम के सलाहकार टॉम फ्लेनेगन ने अमेरिका के इस रुख की पुष्टि यह कहकर की है कि असांज की हत्या कर देनी चाहिए। अब लंदन में हुई असांज की गिरफ्तारी इसकी अगली कड़ी है। इस गिरफ्तारी को भले ही उन पर चल रहे रेप के केस से जोड़ा गया है पर क्या अमेरिका दुनिया को यह मानने के लिए राजी कर पाएगा कि इसकी वजह वह नहीं है जो बंद आंखों से भी सबको दिख रही है। सच यही है कि विकीलीक्स पर जारी लाखों दस्तावेजों से दुनिया के साथ डिप्लोमेसी के नाम पर किया जा रहा अमेरिका का छल बाहर आ गया है और अब उससे मुंह छिपाते नहीं बन रहा है। विकीलीक्स की वेबसाइट पर हमले करवाने, उसे कुछ समय के लिए बंद करवाने से लेकर वह अपने पक्ष में कई बड़े नेताओं के बयान दिलवा कर देख चुका है पर इन उपायों से भी उसे अपने लिए पैदा हो चुके कूटनीतिक संकट का हल होते नहीं दिख रहा है। असांज ने साबित कर दिया है कि राजनय व गोपनीयता के नाम पर बड़ी ताकतें असल में अपना ही स्वार्थ साधना चाहती हैं। उन्हें अपनी जनता और देश-दुनिया की सुरक्षा व आजादी की कोई परवाह नहीं होती। असांज ने जिस तरह बेखौफ होकर अमेरिका जैसी ताकत से टकराने की कोशिश की है उससे लोगों को डिमोक्रेसी का सही मतलब और उसकी ताकत का अहसास हो सकता है। साथ ही अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसका पता चल गया है कि अगर उनकी सरकारें हर मामले में गोपनीयता बरतने का नाटक करती हैं, तो यह उन पर ही भारी पड़ सकता है। अब आम लोगों को भी यह महसूस होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी और सूचना के अधिकार का कितना महत्व है। इनका सही उपयोग हो तो इनके जरिए वे दुनिया को सही दिशा में ले जा सकते हैं। असांज और उन जैसे सतर्क व जागरूक लोगों के साथ खड़े होकर दुनिया बदलने वाली इस मुहिम को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

Wednesday, December 8, 2010

प्राकृतिक सौंदर्य से बना मारीशस पर्यटकों का स्वर्ग

मोती के समान सुंदर तथा सफेद मारीशस के चारों तरफ 100 मील का समुद्री तट और मीलों तक फैली रूपहली रेत ही इस खूबसूरत द्वीप के मुख्य आकर्षण है। दक्षिणी अफ्रीका के पास स्थित मारीशस द्वीप पर पहले ज्वालामुखी पर्वत थे जिनसे लावा बहता रहता था या बंजर और पथरीली भूमि थी। 1598 में डचों ने मारीशस पर सबसे पहले कब्जा किया और वे तकरीबन 120 वर्षों तक यहां रहे जिसके प्रमाण आज भी यहां मिलते हैं।
1710 में डच मारीशस छोड़ कर चले गए। इसके पांच वर्ष बाद यहां फ्रेंच आए और वह 95 वर्षों तक यहां रहे। इसके बाद फ्रांसीसियों ने इस द्वीप को अंग्रेजों के हाथों बेच दिया। अंग्रेजों ने इस द्वीप को उपजाऊ और हराभरा बनाने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने भारत से बिहारी मजदूरों को परिवार सहित यहां लाकर खेती के काम में लगाया। मारीशस में गन्ने की लहलहाती खेती बिहारी मजदूरों की मेहनत का ही परिणाम है।
17वीं और 18वीं सदी में आए मजदूरों की पीढ़ियों ने हिंदू धर्म, भाषा, पहनावा तथा रहन-सहन भारतीय परंपरा के अनुसार ही रखा। मारीशस में वैसे अब नई पीढ़ी आधुनिक पोशाक जींस वगैरह पहनने लगी है लेकिन गांवों में आज भी बड़े-बूढ़े साड़ी और कुर्ता-धोती को ही महत्व देते हैं। स्कूलों में भोजपुरी वर्नाकुलर के रूप में अनिवार्य है। यहां की बोलचाल की भाषा क्रेओल है जो फ्रेंच, अंग्रेजी और भोजपुरी भाषा के मिश्रण से बनी है।
मारीशस को 1968 में अंग्रेजी शासन से पूर्ण आजादी मिली। मारीशस की जलवायु समशीतोष्ण है। यहां मई से अक्टूबर तक सर्दियों का मौसम रहता है लेकिन तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं जाता है। नवंबर से अप्रैल तक गरमी के मौसम में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होता है। चूंकि मारीशस चारों ओर समुद्र से घिरा है इसलिए यहां का मौसम वर्ष भर सुहावना बना रहता है। यहां गरमी में 14 घंटे का और सर्दी में 12 घंटे का दिन होता है। यहां बरसात वर्ष भर होती रहती है।
मारीशस में लिली और ताड़ के वृक्षों की शोभा देखते ही बनती है। पांपलेमस में रायल बोटेनिकल गार्डन यहां का सबसे सुंदर गार्डन है। मारीशस की राजधानी पोर्टलुई यहां का सबसे बड़ा शहर एवं बंदरगाह है। यहां की चौड़ी, साफ-सुथरी सड़कें तथा यातायात व्यवस्था सैलानियों का मन मोह लेती हैं। पोर्टलुई में बड़े-बड़े अतिआधुनिक होटल एवं रेस्तरां हैं, जहां अंग्रेजी, चीनी व भारतीय भोजन आसानी से सुलभ हैं।
मारीशस में खाने-पीने की हर चीज बहुत महंगी है क्योंकि यहां घी, दूध, मक्खन, सब्जियां, अनाज, कपड़े आदि सब कुछ विदेशों से आयात किया जाता है। यहां ज्यादातर खाने की वस्तुएं दक्षिणी अफ्रीका से तथा कपड़े व गहने भारत, जापान और कोरिया से आयात किए जाते हैं।
समुद्री खेलों के शौकीन खिलाड़ियों के लिए मारीशस सबसे उपयुक्त जगह है क्योंकि वर्ष भर यहां का मौसम खेलों के लिए बेहतर बना रहता है। आजकल समुद्री खेलों को और अधिक लोकप्रिय व सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार इस ओर विशेष ध्यान भी दे रही है। मारीशस जाने वाले सैलानी यहां की महिलाओं के हाथ के बने शंख, समुद्री सीप और मोती की मालाएं और हस्तकला की अनेक वस्तुओं को बड़े चाव से खरीदते हैं। तो आप भी जब यहां जाएं तो इन्हें खरीदना न भूलें।