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Wednesday, December 15, 2010


भ्रष्ट राजनीति की देन नक्सली
राजन कुमार
अरूधंती ने अभी पिछले दिनो नक्सलियों को देशभक्त कहा था। अरूधंती ने नक्सलियों को देशभक्त क्यों कहा था। उन्होनेनक्सलियों के अंदर क्या देशभक्ति देखी थी। अरूधंती जानी मानी लेखिका है। उनकों बहुत ज्ञान है। आखिर उन्होने क्यों कह दिया कि नक्सली देशभक्त है। नक्सलियों के अंदर उन्होने देशभक्ति देखी होगी तभी तो उन्होने कहा कि नक्सली देशभक्त हैै। आखिर क्यों न कहें कि नक्सली देशभक्त है। नक्सली देशभक्त है और नक्सली देश भक्त रहेंगे। यह बात पूर्ण रूप से सच है कि नक्सली देश भक्त है। यह सच्चार्ई पोलिटिशियनों को नही पचती । क्यों कि बात पूर्ण रूप से सच है। सच्ची बात कभी भारत के भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को पच नही सकती । जहां पर लोग जागरूक है वहां नेता इतने घोटाले कर रहें है तो जहां नक्सली अशिक्षित है उनके साथ ये भ्रष्ट नेता क्या किये होगे। उनको तो ये पूर्ण रूप से लूटने की कोशिश की होगी। लूटने की कोशिश तो देर की बात उन गरीब नक्सलियों के संपत्ति को लूट ली। तभी तो ये आदिवासी नक्सली बन गये। हर कोई जानता है कि कोई भी व्यक्ति गलत कदम क्यों उठाता है। किसके वजह से उठाता है। जब किसी के साथ अन्याय होता है अन्याय सहने भर की क्षमता नही रहती है तो वह नक्सली बन जाता है। क्या अन्याय का विरोध करना देशभक्ति नही है। अन्याय का विरोध करना देशभक्ति है। अन्याय करने वालों को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन नही मिल पाती है। क्यों कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला ही अन्याय कर रहा है तो उसको सजा कौन देगा। वहीं नेता है। कोई भी नेतो चुनाव से पहले जनता की खूब विनती करता है। लेकिन जब वह चुनाव जीत जाता है तो जनता को अपने जूते की धूल समझने लगता है। वह जनता को मूर्ख समझता है। जो उसे अपना मतदान देकर उसे सत्ता दिया। अरूधंती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया क्यों कि उन्होने नक्सलियों को देशभक्त कहा। एफआईआर दर्ज कराने वाले ये भ्रष्ट नेता ही थे। जिन्हे ये बात पची नही और अरूधंती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया। क्यों कि वे भ्रष्ट नेता जानते है कि अगर ऐसे लेखकों को नही रोका गया तो सभी भ्रष्टाचार के पोल खुल जायेंगे। जो वे कुर्सी के भ्रष्टाचार की हदे पार की है उसकी पोल खुल जायेगी। अगर अभी से इस चिंगारी को नही रोका गया तो आगे चलके लेखकों की चिंगारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आग बनके काम करेगी और सभी भ्रष्ट नेताओं की पोल खोलेगी। कौन ऐसी पार्टी नही है जिसके नेता भ्रष्ट न हो। कौन ऐसा नेता नही जो भ्रष्ट न हो। संविधान मे ये कहा गया है कि जिसके खिलाफ एक भी मुकदमा हो या वह किसी जुर्म मे जेल गया हो वह चुनाव नही लड़ सकता । लेकिन आज के समय मे वहीं लोग चुनाव लड़ते है जिन पर अनेको मुकदमे हो । जो पेशावर क्रिमीनल हो। क्राईम उसका मुख्य पेशा हो। ऐसे ही लोग चुनाव लड़ते है। अगर कोई सज्जन व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो उसे मार दिया जाता है। सभी देखते है सभी जानते है लेकिन कोई कहता है। क्यों कि सभी भ्रष्ट है। कौन कहेगा? जो कहेगा वो मौत पायेगा। फिल्मे सभी देखते है। इन फिल्मो मे क्या दिखाया जाता है। वहीं जो समाज मे होता है। इन फिल्मो के अन्दर जो एक्टिंग दिखाई जाती है। वो समाज का आईना है। जो समाज मे होता है वहीं फिल्मो मे दिखाया जाता है। भारत के इतिहास मे जो था आज का समय ठीक उसके उलटा है। भारत के इतिहास मे झांक कर देखा जाये तो राजा अपनी प्रजा के लिए जान देने को तैयार रहते थे। लेकिन आज का समय यह है कि वोट के लिए किसी कत्ल कर दिया जाता है कहीं डराया जाता है कहीं धमकाया जाता है। जहां जनता जागरूक है वहां लोगों से अच्छे अच्छे वादे किये जाते और वो सारे वादे चुनाव जीतने के बाद भुल जाते है। कौन नही जानता है राजनीति पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुकी है। मगर खुल के कोई कहता नही है। जो कहना चाहता है उसका कोई सपोर्ट नही करता और कुछ दिन बाद उसका मर्डर करवा दिया जाता हैँ। तरह तरह के एनजीओ बनाये जा रहे है। ताकि भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सके। लेकिन उन संगठनों को भ्रष्टाचार की हवा लग जा रही है। दुनिया मे कई सर्वे जो यह बताते है कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों मे आता है। आखिर क्यों सबसे भ्रष्ट देशो की गिनती मे भारत का नंबर आता है। जब देश मे भ्रष्टाचार हो रही है तभी तो अपने देश को सबसे भ्रष्ट देशो की सूची मे रखा जा रहा है। इस देश के जो नेता है वहीं तो इस देश को चला रहे है। जब वह भ्रष्ट है तो देश का नाम सबसे भ्रष्ट देशो की सूची मे क्यों नही आयेगा। भारत की कोई भी पार्र्टी है उसमे कौन सच्चा नेता है? कोई नही। हर पार्टी के नेता भ्रष्ट है। भ्रष्टाचार फैला रहे है और देश की जनता को और भूखे मरने पर मजबूर कर रहे है। आज बहुत ऐसे गांव है जहां लोग भूखे मरते है। किसी एक वक्त की रोटी नसीब नही होती। तो किसी सर पर छत नही है। बहुत बेघर है।तो बहुत को पहनने के लिए कपड़े नही है। सरकार के तरफ से जो गरीबों के लिए स्कीम चली है। अगर वो गरीबो तके पहुंचे तो अब तक भारत मे गरीबी कभी की खत्म हो जाती लेकिन उन्ही गरीबो के पैसे नेता, आधिकारी मिल कर खा जाते है। जिससे उन गरीबो की स्थिती ज्यों की त्यों रह जाती हैै। सच्ची लेख, सच्ची बातें उन्ही को बुरी लगती हे जो पूर्ण रूप से भ्रष्ट होते है। और देश मे भ्रष्टाचार खत्म करने के बजाय भ्रष्टाचार फैलाते है। जहां कुछ लोग जागरूक है वहां ये हाल है तो उन आदिवासीयों के साथ ये नेता क्या करते होंगे जो पूर्ण अनेको अशिक्षित है। उनके पास शिक्षा का अभाव है जिससे वो कोई उचित कदम नही उठा पाते जिससे उनका भला हो सके। जब वे भ्रष्ट नेताओं के भ्रष्टाचार से उब जाते है तो नक्सली का रूप धारण कर लेते है सरकार से मोर्चा लेने के लिए तैयार हो जाते है। कोई नही चाहता खून - खराबा। लेकिन भ्रष्ट नेता सीधे-सादे लोंगों को नक्सली, अपराधी, चोर, वेश्या आदि बनने पर मजबूर कर देते है जिससे उन्हे गलत कदम उठाना पड़ता है। आज के समय कितने घोटालों की पोल खुल रही है। लेकिन उन घोटालों के प्रति क्या कार्रवाई हो रही है। जो कुछ थोड़ी बहुत कार्रवाई हो रही है वो जनता को दिखाने के लिए हो रही है जिससे वोट मिल सके। जिनके खिलाफ कार्रवाई हो रही उनको कोर्ट सजा सुना रही है उसके बाद फिर वहीं कोर्ट फिर उनको जमानत दे रहा है। जब जनता ये सब देखेगी तो क्या करेगी। वह चाहेगी कि उसे वोट न दे । लेकिन किसे न दे । किसी को तो वोट देना पड़ेगा। इसलिए आज जो भी राजनीति मे सब भ्रष्ट है। जनता अफसोस करके किसी न किसी को वोट दे देती है। लेकिन जिनसे भ्रष्टाचार सहा नही जाता है वो नक्सली, अपराधी, आतंकवादी आदि आपराधिक पेशा अपनाने पर मजबूर हो जाते है।

Thursday, December 9, 2010

असांज या सद्दाम
अपनी सनक की हद में जिस तरह जॉर्ज बुश ने इराक के शासक सद्दाम हुसैन को विलेन ठहराते हुए मार डाला था, आज कुछ वैसा ही माहौल विकीलीक्स के संसथापक जूलियन असांज के खिलाफ बनाने की कोशिश
हो रही है। विकीलीक्स पर हुए खुलासों के बाद अंदर से बुरी तरह भयभीत अमेरिका को इस समस्या का हल किसी भी तरह असांज से छुटकारा पाने में नजर आ रहा है। इसके लिए वह अपने मित्र देशों से मदद की अपेक्षा कर रहा है। कनाडा के पीएम के सलाहकार टॉम फ्लेनेगन ने अमेरिका के इस रुख की पुष्टि यह कहकर की है कि असांज की हत्या कर देनी चाहिए। अब लंदन में हुई असांज की गिरफ्तारी इसकी अगली कड़ी है। इस गिरफ्तारी को भले ही उन पर चल रहे रेप के केस से जोड़ा गया है पर क्या अमेरिका दुनिया को यह मानने के लिए राजी कर पाएगा कि इसकी वजह वह नहीं है जो बंद आंखों से भी सबको दिख रही है। सच यही है कि विकीलीक्स पर जारी लाखों दस्तावेजों से दुनिया के साथ डिप्लोमेसी के नाम पर किया जा रहा अमेरिका का छल बाहर आ गया है और अब उससे मुंह छिपाते नहीं बन रहा है। विकीलीक्स की वेबसाइट पर हमले करवाने, उसे कुछ समय के लिए बंद करवाने से लेकर वह अपने पक्ष में कई बड़े नेताओं के बयान दिलवा कर देख चुका है पर इन उपायों से भी उसे अपने लिए पैदा हो चुके कूटनीतिक संकट का हल होते नहीं दिख रहा है। असांज ने साबित कर दिया है कि राजनय व गोपनीयता के नाम पर बड़ी ताकतें असल में अपना ही स्वार्थ साधना चाहती हैं। उन्हें अपनी जनता और देश-दुनिया की सुरक्षा व आजादी की कोई परवाह नहीं होती। असांज ने जिस तरह बेखौफ होकर अमेरिका जैसी ताकत से टकराने की कोशिश की है उससे लोगों को डिमोक्रेसी का सही मतलब और उसकी ताकत का अहसास हो सकता है। साथ ही अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसका पता चल गया है कि अगर उनकी सरकारें हर मामले में गोपनीयता बरतने का नाटक करती हैं, तो यह उन पर ही भारी पड़ सकता है। अब आम लोगों को भी यह महसूस होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी और सूचना के अधिकार का कितना महत्व है। इनका सही उपयोग हो तो इनके जरिए वे दुनिया को सही दिशा में ले जा सकते हैं। असांज और उन जैसे सतर्क व जागरूक लोगों के साथ खड़े होकर दुनिया बदलने वाली इस मुहिम को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

Wednesday, December 8, 2010

प्राकृतिक सौंदर्य से बना मारीशस पर्यटकों का स्वर्ग

मोती के समान सुंदर तथा सफेद मारीशस के चारों तरफ 100 मील का समुद्री तट और मीलों तक फैली रूपहली रेत ही इस खूबसूरत द्वीप के मुख्य आकर्षण है। दक्षिणी अफ्रीका के पास स्थित मारीशस द्वीप पर पहले ज्वालामुखी पर्वत थे जिनसे लावा बहता रहता था या बंजर और पथरीली भूमि थी। 1598 में डचों ने मारीशस पर सबसे पहले कब्जा किया और वे तकरीबन 120 वर्षों तक यहां रहे जिसके प्रमाण आज भी यहां मिलते हैं।
1710 में डच मारीशस छोड़ कर चले गए। इसके पांच वर्ष बाद यहां फ्रेंच आए और वह 95 वर्षों तक यहां रहे। इसके बाद फ्रांसीसियों ने इस द्वीप को अंग्रेजों के हाथों बेच दिया। अंग्रेजों ने इस द्वीप को उपजाऊ और हराभरा बनाने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने भारत से बिहारी मजदूरों को परिवार सहित यहां लाकर खेती के काम में लगाया। मारीशस में गन्ने की लहलहाती खेती बिहारी मजदूरों की मेहनत का ही परिणाम है।
17वीं और 18वीं सदी में आए मजदूरों की पीढ़ियों ने हिंदू धर्म, भाषा, पहनावा तथा रहन-सहन भारतीय परंपरा के अनुसार ही रखा। मारीशस में वैसे अब नई पीढ़ी आधुनिक पोशाक जींस वगैरह पहनने लगी है लेकिन गांवों में आज भी बड़े-बूढ़े साड़ी और कुर्ता-धोती को ही महत्व देते हैं। स्कूलों में भोजपुरी वर्नाकुलर के रूप में अनिवार्य है। यहां की बोलचाल की भाषा क्रेओल है जो फ्रेंच, अंग्रेजी और भोजपुरी भाषा के मिश्रण से बनी है।
मारीशस को 1968 में अंग्रेजी शासन से पूर्ण आजादी मिली। मारीशस की जलवायु समशीतोष्ण है। यहां मई से अक्टूबर तक सर्दियों का मौसम रहता है लेकिन तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं जाता है। नवंबर से अप्रैल तक गरमी के मौसम में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होता है। चूंकि मारीशस चारों ओर समुद्र से घिरा है इसलिए यहां का मौसम वर्ष भर सुहावना बना रहता है। यहां गरमी में 14 घंटे का और सर्दी में 12 घंटे का दिन होता है। यहां बरसात वर्ष भर होती रहती है।
मारीशस में लिली और ताड़ के वृक्षों की शोभा देखते ही बनती है। पांपलेमस में रायल बोटेनिकल गार्डन यहां का सबसे सुंदर गार्डन है। मारीशस की राजधानी पोर्टलुई यहां का सबसे बड़ा शहर एवं बंदरगाह है। यहां की चौड़ी, साफ-सुथरी सड़कें तथा यातायात व्यवस्था सैलानियों का मन मोह लेती हैं। पोर्टलुई में बड़े-बड़े अतिआधुनिक होटल एवं रेस्तरां हैं, जहां अंग्रेजी, चीनी व भारतीय भोजन आसानी से सुलभ हैं।
मारीशस में खाने-पीने की हर चीज बहुत महंगी है क्योंकि यहां घी, दूध, मक्खन, सब्जियां, अनाज, कपड़े आदि सब कुछ विदेशों से आयात किया जाता है। यहां ज्यादातर खाने की वस्तुएं दक्षिणी अफ्रीका से तथा कपड़े व गहने भारत, जापान और कोरिया से आयात किए जाते हैं।
समुद्री खेलों के शौकीन खिलाड़ियों के लिए मारीशस सबसे उपयुक्त जगह है क्योंकि वर्ष भर यहां का मौसम खेलों के लिए बेहतर बना रहता है। आजकल समुद्री खेलों को और अधिक लोकप्रिय व सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार इस ओर विशेष ध्यान भी दे रही है। मारीशस जाने वाले सैलानी यहां की महिलाओं के हाथ के बने शंख, समुद्री सीप और मोती की मालाएं और हस्तकला की अनेक वस्तुओं को बड़े चाव से खरीदते हैं। तो आप भी जब यहां जाएं तो इन्हें खरीदना न भूलें।



Tuesday, October 5, 2010

यूपी में हैं 205 साल के बाबा

श्रावस्ती । क्या कोई व्यक्ति 205 साल का हो सकता है। विज्ञान भले ही कुछ कहे, लेकिन भारत-नेपाल सीमा पर जनपद श्रावस्ती के उत्तरी छोर पर स्थित जगपति नाथ मन्दिर के 205 वर्षीय बाबा स्वामी दयाल जी महाराज का दावा है कि उनकी उम्र दो सौ पांच साल है। बाबा के सम्बन्ध में जानकारी रखने वालों का दावा है कि बाबा दो सदी से अधिक पुराने हैं। काठमाण्डू में 20 मार्च 1805 को जन्मे स्वामी दयाल जी महराज इससे पहले अल्मोड़ा, देहरादून, उत्तरकाशी, काशी, हरिद्वार आदि स्थानों पर रह चुके हैं। विगत 90 वर्षों से जगपति नाथ मन्दिर पर रह रहे हैं। राप्ती नदी के तट पर बसे इस मन्दिर के बारे में बाबाजी कहना है कि जिस समय वे यहां पर आये यह घना जंगल था। दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं थी। वन्य जीव खुलेआम विचरण करते थे। बहुत कम लोग इस स्थान पर पहुंच पाते थे। अब तो सैकड़ों लोग इस स्थान पर पहुंचने लगे हैं जिससे उनकी दिनचर्या पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बाबा जी कहना है कि जब सन् 1857 में गदर हुआ था उस समय वे काशी (बनारस) में थ1। बाबाजी विगत 100 वर्षों से भोजन नहीं ग्रहण कर रहे हैं। बाबा के बारे में दीर्घ उम्र की प्रमाणिकता के बारे में जानकारी देते हुए 102 वर्षीय लाल किशोरी लाल निवासी भिनगा बताते हैं कि बचपन से ही बाबा के बारे में सुनता हूं हम लोगों के बचपन में बाबा 100 वर्ष की उम्र से अधिक के थे। नेपाल राज्य के पूर्व सांसद दिनेश चन्द्र यादव बताते हैं कि उनके चार पुश्तों के पुरखे बाबा जी के शिष्य रहे हैं तथा उनके पिता की समाधि बाबाजी के आश्रम पर है। जमुनहा क्षेत्र के कई गांवों के बुर्जुगों से पूछताछ की गयी तो सभी लोगों ने एक स्वर से बताया कि बाबा को कई दशकों से इसी रूप में देख रहे हैं। बाबा जी बाकेश्वरी मन्दिर नेपाल में हनुमान मन्दिर के महन्थ हैं नेपाल राष्ट्र से उनको सरकारी भत्ता भी मिल रहा है तथा 500 बीघा जमीन भी उन्हें मिली थी। बाबा जी का कहना है कि वे महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू के साथ जेल भी गये हैं बाबा को अंग्रेस अफसर लाल पगड़ी कहकर पुकारते थे। बाबाजी ने सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय आदि नेताओं से मुलाकात भी की है। बाबाजी काशी के जूना अखाड़ा से सम्बद्ध बताये जाते हैं वे वन्य जीव प्रेमी हैं उनके यहां हिरन खरगोश व अन्य पशु पक्षी विचरण किया करते हैं। बाबाजी भगवान दत्तात्रेय के भक्त हैं और योग तथा पूजा में व्यस्त रहते हैं बहुत भीड़भाड़ नहीं बर्दाश्त करते हैं एकान्त में रहते हैं।

मोहाली में चमत्कार : लक्ष्मण के कमाल से भारत को मिली जीत बेमिसाल

मोहाली 5 अक्टूबर । ऑस्ट्रेलिया के 215 रन का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने दूसरी पारी में 9 विकेट पर 216 रन बनाकर मैच जीत लिया। भारत की ओर से वीवीएस लक्ष्मण ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 73 रन की बेहतरीन पारी खेली। एक समय हार के कगार पर खड़ी टीम इंडिया को लक्ष्मण ने अपने करियर की एक और बेहतरीन पारी खेलते हुए जीत भारत की झोली में डाल दी। दिन का खेल शुरु होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने शानदार गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण के बूते मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली । सचिन के आउट होते ही भारतीय बल्लेबाजी लड़खड़ा गई। हालांकि लक्ष्मण और इशांत ने संभलकर खेलते हुए भारत मैच में वापसी कराई। लेकिन अंपायर इयॉन गुल्ड की एक गल्ती के कारण भारत को नौवा झटका लगा। वी वी एस लक्ष्मण ने सधी हुई बल्लेबाजी करते हुए अर्धशतक ठोका। मोहाली की स्पिन पिच का फायदा उठाते हुए नैथन हॉरित्ज ने जहीर खान को 10 रन के निजी स्कोर पर पैवेलियन लौटाया। इसके बाद सचिन तेंडुलकर और वी वी एस लक्ष्मण ने आक्रामक बल्लेबाजी की। लेकिन सचिन 38 रन के निजी स्कोर पर आउट हो गए। आसान से लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत खराब रही। पहले ही ओवर में गौतम गंभीर बिना खाता खोले पगबाधा आउट हो गए। इसके बाद कोई भी बल्लेबाज मैदान पर टिकने के मूड में नहीं दिखा। सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग 17 और राहुल द्रविड़ 13 रन बनाकर आउट हुए। पहली पारी में अर्धशतक लगाने वाले सुरेश रैना शून्य पर आउट हुए।

Thursday, July 22, 2010

वैज्ञानिकों ने खोजा चाँद पर पानी
वैज्ञानिकों ने पाया है कि चंद्रमा की एक चट्टान में पानी एक भिन्न प्रकार के रासायनिक रूप में मौजूद है। इस खोज से यह विश्वास पक्का होता है कि चंद्रमा के बाहरी और आंतरिक दोनों ओर पानी मौजूद है। भारत के चंद्रयान-1 और बहुत से अन्य चंद्र मिशनों के बाद पिछले साल वैज्ञानिकों ने चॉंद पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।
डेली मेल की खबर के मुताबिक अब कैलीफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और टेनेसी यूनिवर्सिटी के भूगर्भ विज्ञानियों ने अपनी खोज के बाद कहा है कि एक दिन इंसान के लिए चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना करना काफी आसान हो जाएगा।
विज्ञानियों की टीम ने चंद्रमा की सतह पर स्थित एक चट्टान का अध्ययन किया जो अरबों साल पहले लावा के प्रवाह से बनी थी और इसके अंश 1971 में अपोलो-14 मिशन के तहत धरती पर लाए गए थे।

Saturday, June 5, 2010




अरुणांचल प्रदेश भारत के उत्तर पूर्वी राज्य है अरुणांचल का अर्थ होता है सूर्य का आँचल पुरे भारत में सबसे पहले सूर्य की किरण अरुणांचल प्रदेश में आती है उसके बाद फिर पुरे भारत में अपना पसारती है अरुणांचल प्रदेश की राजधानी इटानगर है इंट से बने कई किलाओं के कारण इस नगर का नाम इटानगर पड़ गया इटानगर राजधानी के साथ साथ प्रदेश का सबसे शहर भी है यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी और असमिया है अब धीरे धीरे यहाँ इंग्लिश भी लोकप्रिय हो रही है प्रसिद्ध लेडो बर्मा रोड का भाग राज्य से होकर गुजरता है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस सड़क ने चीन के लिये एक जीवन रेखा की भूमिका निभाई थी। अरुणांचल प्रदेश में 16 जिले है यह अपने पहाड़ी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।सन् 1972 ई। तक अरुणाचल नार्थ ईस्ट फ्रोन्डियर एजेन्सी के नाम से जाना जाता था। 20.01.1972 में उसे संघ शासित क्षेत्र की मान्यता मिली। उसके बाद वह अरुणाचल प्रदेश नाम से जाना जाने लगा। 20 फरवरी 1987 इसे राज्य के रूप में मान्यता मिली। इसकी पहली राजधानी नहरलगन थी, अब ईटानगर गया. अरुणाचल का ज्यादातर हिस्सा हिमालय से ढका है। यहॉं सेब, संतरा, आदि के फलदार वृक्ष पायें जाते है 63% अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध हैं। इनमे से अधिकांश तो तिब्बती बर्मी या ताई बर्मी मूल के है बाकी 35 % जनसंख्या आप्रवासियों की है। राज्य की साक्षरता दर 1991 में 41,59 % से बढ़कर 54,74 % हो गयी 487796 व्यक्ति साक्षर है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल की 20 % जनसंख्या के प्रकृतिधर्मी हैं जो जीववादी धर्म जैसे डोन्यी पोलो और रंग्फ्राह का पालन करते है। मिरी और नोक्ते लोगों को मिलाकर लगभग पैंतीस प्रतिशत हिन्दू हैं। राज्य की 13% जनसंख्या बौद्ध है। तिब्बती बौद्ध धर्म मुख्यतः तवांग पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों मे प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध धर्म का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है। लगभग 19 % आबादी ईसाई धर्म के अनुयायी है। राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। झुम खेती जो आदिवासी समूहों के बीच पहले व्यापक रूप से प्रचलित थी अब कम लोगों मे प्रचलित है। अरुणाचल प्रदेश के करीब 61000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जंगलों से ढका है, और वन्य उत्पाद अर्थव्यवस्था का सबसे दूसरा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। अरुणाचल फलों के उत्पादन के लिए भी आदर्श स्थान है। यहाँ प्रमुख उद्योग आरामिल और प्लाईवुड को कानून द्वारा बंद कर दिया गया। चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयों हस्तशिल्प और हथकरघा आदि अन्य प्रमुख उद्योग हैं। चावल, मक्का, गेहूं, बाजरा, दाल, गन्ना, अदरक, फल, सब्जी, और तिलहन प्रमुख है

मुख्य पर्यटन स्थल

  1. किला

    ईटानगर में पर्यटक ईटा किला भी देख सकते हैं। इस किले का निर्माण 14-15वीं शताब्दी में किया गया था। इसके नाम पर ही इसका नाम ईटानगर रखा गया है। पर्यटक इस किले में कई खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। किले की सैर के बाद पर्यटक यहां पर पौराणिक गंगा झील भी देख सकते हैं।
  2. पौराणिक गंगा झील

    यह ईटानगर से 6 किमी। की दूरी पर स्थित है। झील के पास खूबसूरत जंगल भी है। यह जंगल बहुत खूबसूरत है। पर्यटक इस जंगल में सुन्दर पेड़-पौधे, वन्य जीव और फूलों के बगीचे देख सकते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को इस झील और जंगल की सैर जरूर करनी चाहिए।
  3. बौद्ध मंदिर

    हां एक खूबसूरत बौद्ध मन्दिर है। बौद्ध गुरू लाई लामा भी इसकी यात्रा कर चुके हैं। इस मन्दिर की छत पीली है और इस मन्दिर का निर्माण तिब्बती शैली में किया गया है। इस मन्दिर की छत से पूरे ईटानगर के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। इस मन्दिर में एक संग्राहलय का निर्माण भी किया गया है। इसका नाम जवाहर लाल नेहरू संग्राहलय है। यहां पर पर्यटक पूरे अरूणाचल प्रदेश की झलक देख सकते हैं।
  4. इसके अलावा यहां पर लकड़ियों से बनी खूबसूरत वस्तुएं, वाद्ययंत्र, शानदार कपड़े, हस्तनिर्मित वस्तुएं और केन की बनी सुन्दर कलाकृतियों को देख सकते हैं। संग्राहलय में एक पुस्ताकलय का निर्माण भी किया गया है। इसके अलावा भी यहां पर पर्यटक कई शानदार पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं। इन पर्यटन स्थलों में दोन्यी-पोलो विद्या भवन, विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी उद्यान और अभियांत्रिकी संस्थान प्रमुख हैं।

  5. अरूणाचल प्रदेश का पापुम पेर बहुत ही खूबसूरत स्थान है। इसका मुख्यालय युपिया में स्थित है। यह ईटानगर से 20 किमी। की दूरी पर स्थित है। पापुम पेर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। इस कारण पर्यटक यहां पर अनेक चोटियों को देख सकते हैं। चोटियों के अलावा पर्यटक यहां पर अनेक जंगलों, दियों और पर्यटक स्थलों को भी देख सकते हैं। इसकी उत्तरी दिशा में कुरूंग कुमे, पूर्व में निचला सुबांसिरी, पश्चिम में पूर्वी कमेंग और दक्षिण में असम स्थित है। यहां पर निशी जाति के लोग रहते हैं। यह अपनी वीरता के लिए जाने जाते हैं। निशी के अलावा यहां पर मिकीर जाति भी रहती है। निशी जाति के लोग इण्डो-मंगोल प्रजाति से संबंध रखते हैं और इनकी भाषा तिब्बत-बर्मा भाषा परिवार से संबंधित है। निशी जाति के लोग फरवरी के पहले हफ्ते में अपना उत्सव भी मनाते हैं। इस उत्सव का नाम न्योकुम है। यहां पर अनेक पर्यटन स्थल भी हैं। इन पर्यटन स्थलों की यात्रा करना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। पापुम पेर में कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं। इसके अधिकतर पर्यटन स्थल ईटानगर, दोईमुख, सिगेली और किमीन में स्थित है। इन पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के लिए पर्यटकों को अरूणाचल प्रदेश के सरकारी कार्यालयों से परमिट लेना पड़ता है।

डिरांग घाटी का मनोरम दृश्य
एक नजर इसे भी पढ़े
अरुणांचल प्रदेश चीन की सभ्यता से काफी मिलता जुलता है। फिर भी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री फिल्म सूटिंग के लिए चीन जाती है। अरुणांचल प्रदेश के लोग चाईनीज जैसे लगते है। जैसे पहाड़ी, पर्यटक स्थल और लोगो का हाव भाव, अधिकांश चीजे चीन से मिलती है। फिर भी किसी चाईनीज रोल के लिए भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री चीन क्यों जाती है। जो पैसा चीन में जा रहा है, वो भारत में ही रहे तो भारतीय लोगो का कितना विकास हो।
पहाड़ो, बर्फ की चट्टानों, घाटीओं के दृश्य, आदि कई तरह के शूटिंग के लिए भारतीय सिनेमा विदेशो में जाते है। जब की वो सभी सीनरी भारत में मौजूद है।
भारत सरकार भी इस प्रदेश को पूरी तरह से विकसित नहीं कर रहा है। अगर भारत सरकार इस प्रदेश को विकसित करे तो यह प्रदेश पुरे विश्व में एक अलग छाप छोड़ेगा। विश्व के प्रमुख पर्यटक स्थलों में इसका भी प्रमुख स्थान होगा।
तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा तवांग यात्रा के दौरान इस प्रदेश को भारत का सबसे खुबसूरत और स्वच्छ हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा था कि यह यात्रा मेरे जीवन कि सबसे विशुद्ध और बेहतरीन यात्रा है।
दलाई लामा के दौरे का चीन द्वारा विरोध किए जाने के बारे में 75 वर्षीय सेरिंग ने कहा कि दलाई लामा कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा ‘इस तरह के बेतुके बयान देकर चीनी स्थानीय निवासियों के दिलों से भी दूर होते जा रहे हैं।


बाजारों में चीनी सामानों, चीनी संगीत की सीडी की भरमार है लेकिन बॉलीवुड की फिल्मों की लोकप्रियता का इनसे कोई मुकाबला नहीं है। वीडियो शॉप ‘म्यूजिक वल्र्ड’ के मालिक रिचानी कहते हैं कि कभी-कभार वे तिब्बती भाष में चीनी गानों के वीडियो बेचते हैं। लेकिन हिंदी फिल्मों के वीडियो कैसेट्स के लिए लोग दीवाने हैं।

अरुणाचल प्रदेश के मोनपा स्थानीय निवासी हिंदी संगीत और बॉलीवुड सितारे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय के दीवाने हैं। अरुणाचल प्रदेश में लोगों को तिब्बती गीत और हिन्दी फिल्में अच्छी लगती हैं।

बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर्स यानी लोकप्रिय सुपरहिट हिन्दी फिल्मों के लिए उनकी दीवानगी उन्हें पूर्वोत्तर में अन्य लोगों से अलग बना देती है। स्थानीय निवासी शीला सेरिंग कहती है कि मेरी 12 साल की बेटी ने दलाई लामा की धार्मिक सभा में जाने के बजाय शाहरुख की नई फिल्म देखना पसंद किया।

स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों में बॉलीवुड के सितारे खासे लोकप्रिय हैं। कॉलेज की छात्रा मोनपी लामा कहती है कि हम अमिताभ, शाहरुख और ऐश्वर्या की कोई भी फिल्म नहीं छोड़ते।

यहाँ के लोगो में भारतीय सिनेमा के प्रति काफी रूचि है। फिर भी भारतीय सिनेमा यहाँ आकर फिल्म सूटिंग नहीं करते।

अरुणांचल प्रदेश के उगते सूरज का एक झलक
अरुणाचल प्रदेश का सौन्दर्य अनचीन्हा है. यहाँ आप आयें तो पाएंगे अरे यही तो अपना भारत है. हिमालय की चोटियाँ हरियाली और भी बहुत कुछ.. पेश है अरुणाचल का सूर्योदय---

अरुणाचल में सूरज भारत में सबसे पहले उगता है..लेकिन ऊँची-नीची घाटियों में छाया धुंधलका अप्रतिम है.


जब आप वहां पहुंचेगे, तो हवा में व्याप्त वनस्पतियों की हरी गंध और चिड़ियों की चहचाहाहट... मीठा संगीत.. सन्नाटा मिलेगा भी और नहीं भी, यहाँ का सौन्दर्य देखेंगे तो सपनो में खो जायेंगे.........

अरुणाचल में संतरों की खेती होती है.. लेकिन तेजू (अरुणाचल का एक छोटा लेकिन खूबसूरत शहर ) के विकास पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा है. तेजू में अभी भी सिर्फ २ चौक और २ ही होटल हैं.


चीन ने अरुणाचल में बुद्ध की प्रतिमा तोड़ी


 <span title=चीन ने मोर्टार हमला करते हुए अरुणाचल प्रदेश के बमला में महात्मा बुद्ध की एक प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया। यह घटना पिछले साल अक्तूबर की है और इसका खुलासा अरुणाचल प्रदेश से बीजेपी के सांसद के. रिज्जू ने किया।

यहां रिज्जू ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को संसद में नहीं उठाया क्योंकि इससे चीन-भारत संबंधों पर असर पड़ सकता था। उन्होंने कहा कि वह इसका खुलासा अब इसलिए कर रहे हैं क्योंकि लोग सोच सकते हैं कि केंद्र ने विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के जरिए 9 नवंबर को तवांग में संदेश दिया कि दुनिया की कोई भी शक्ति अरुणाचल को भारत से अलग नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, हम कार्रवाई चाहते हैं, न कि जबानी जमा खर्च। रिज्जू ने कहा कि चीनी लगातार अरुणाचल में भूभाग पर कब्जा कर रहे थे। उन्होंने कहा, हम पहले ही सामदोंग चू घाटी और आशा पिल्ला में अपने हरित क्षेत्रों को खो चुके हैं। बीजेपी सांसद ने कहा कि केंद मैकमोहन रेखा के पास सड़क निर्माण और अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण कराए ताकि 1962 के युद्ध के बाद से बंद पारंपरिक सीमा व्यापार को फिर से शुरू किया जा सके।


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर चीन के आपत्ति जताए जाने के बीच कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि पूर्वोत्तर का यह प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है।

राहुल ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'अरुणाचल प्रदेश एक भारतीय राज्य है, तमिलनाडु एक भारतीय राज्य है, झारखंड एक भारतीय राज्य है। इन सभी राज्यों के लिए मेरा रवैया एक जैसा है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। मेरे लिए अरुणाचल प्रदेश किसी अन्य राज्य की तरह ही है। इसमें कोई अंतर नहीं है।'

कांग्रेस महासचिव से पूछा गया था कि जब चीन ने प्रधानमंत्री के अरुणाचल प्रदेश जाने पर आपत्ति जताई है, तो ऐसे में वह इस राज्य में युवक कांग्रेस को कैसे मजबूत करेंगे। बहरहाल, राहुल ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया जिसमें पूछा गया था कि पेईचिंग जब ऐसी आपत्ति जता रहा है तो ऐसे में चीन के साथ संबंधों में सुधार कैसे होगा।

तवांग मे जैसे ही प्रवेश करते है तो हर तरफ भारतीय सेना के जवान ,सेना की कारें,ट्रक,वगैरा बहुत दिखाई देते है क्यूंकि तवांग चीन और भारत के बार्डर का डिस्ट्रिक्ट है। १९६२ मे जब चीन ने (sino-india war) भारत पर आक्रमण किया था और चीनी सैनिक भारत मे प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे उस समय तवांग मे तैनात भारतीय सैनिकों ने अपूर्व जौहर और हिम्मत से चीनी सैनिकों का सामना किया था और उन्हें भारत मे प्रवेश करने से रोका था।इस लड़ाई मे २४२० भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए थे और इन्ही शहीदों की याद मे ये memorial बनाया गया है। ये memorial तवांग शहर से १ कि.मी.की दूरी पर है और यहां तक जाने मे रास्ते मे दोनों तरफ सेना के शिविर और सड़क के दोनों ओर बहुत सारे बोर्ड ,झंडे और मूर्तियाँ अलग-अलग रेजिमेंट के बहादुर सैनिकों की दिखाई देती है। और इस १ कि.मी.के रास्ते मे सेना के जवान आते-जाते हुए भी दिखाई देते है।
इस memorial का निर्माण १५ अगस्त १९९८ मे शुरू हुआ था और २ नवम्बर १९९९ को इसे उन २४२० शहीदों को समर्पित किया गया जिन्होंने चीनी सैनिकों से लड़ते हुए अपनी जान अपने देश पर कुर्बान कर दी थी। इस memorial की ख़ास बात ये है कि ये तवांग के तकरीबन पूरे शहर से दिखाई देता है।
जैसे ही इस war memorial के गेट से प्रवेश करते है तो दाहिनी ओर एक बोफोर्स तोप दिखाई पड़ती है और इसी के पास कार पार्किंग भी है। यहां से थोडा आगे बढ़ने पर भगवान बुद्ध की सफ़ेद मूर्ति बनी हुई है। यहां पर जैसे ही कार से उतरते है तो सामने सीढियां दिखाई देती है और इन सीढ़ियों के प्रवेश द्वार पर खड़े होकर देखने पर यहां बना ४० फीट ऊँचा स्तूप दिखाई देता है ।

इस
war memorial मे बुद्ध धर्म की झलक साफ़ दिखाई पड़ती है -प्रवेश द्वार और ऊपर भी । सीढ़ियों से ऊपर जाने पर धर्म चक्र (monestary जैसे )दिखाई पड़ते है । यहां स्तूप के चारों ओर दीवारों पर उस युद्ध मे शहीद हुए सभी जवानों के नाम उनकी रेजिमेंट के साथ लिखे हुए है ।
इस war memorial मे ऊपर की तरफ भारतीय झंडे के साथ साथ सभी रेजिमेंट के झंडे लगे हुए है । रोज सुबह सूर्योदय के साथ इन्हें फहराया जाता है । और हर रोज शाम ५ बजे जब सूरज ढलने लगता है यानी सूर्यास्त के समय इन सभी झंडों को बिगुल की धुन के साथ उतारा जाता है और इसे देखना भी अपने आप मे एक अनुभव है।इसका विडियो you tube पर लगाया हुआ है ।


इस स्मारक के चारों पत्थर लगे हुए है जिनपर शहीदों के लिए लिखा हुआ है कि किस तरह उन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए देश के प्रति अपना फर्ज निभाया था।
थोडा और आगे बढ़ने पर एक कमरे मे सूबेदार जोगिन्दर सिंह जी की प्रतिमा बनी है जिसके नीचे एक रीथ रक्खा हुआ है और साथ ही वहां पर राइफल्स और शहीद हुए जवानों की अस्थियाँ भी रक्खी हुई है। दीवार पर मेड़ेल्स लगे हुए है और इस लड़ाई के बारे मे लिखा हुआ है। जोगिन्दर सिंह जी की मूर्ति के नीचे किस बहादुरी और अदम्य साहस के साथ उन्होंने चीनी सेना से लड़ाई की लिखा हुआ है और जिसे पढ़कर सिर अपने आप उनकी शान मे झुक जाता है।यहां से आगे बढ़ने पर एक और कमरा पड़ता है जिसमे उस समय इस्तेमाल की गयी राइफल्स और गोलियां रक्खी है। और यहां पर दीवारों मे उस समय लड़ाई की फोटो लगी हुई है। साथ ही एक नक्शा भी लगा हुआ है। जिसके माध्यम से उस समय जैसे-जैसे लड़ाई आगे बढ़ी थी उसे दर्शाया गया है। जिसे पढ़कर और देख कर अपने देश के लिए जान कुबान करने वाले शहीदों पर नाज होता है ।

war memorial से बाहर आने पर बायीं ओर गिफ्ट शॉप पड़ती है जहाँ पर्यटकों की काफी भीड़ होती है.


Tuesday, June 1, 2010

अंडोरा यूरोप का एक छोटा सा देश है। यह स्पेन और फ़्रांस के बीच पय्रेनीस की पर्वत श्रंखला पर स्थित है। हालाँकि यूरोपीय संघ का देश नहीं है। सिर्फ सीमा समझौता हुआ है। अंडोरा की राजधानी अंडोरा ला वेला है। यह देश 468 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसकी जनसंख्या (2009) 84484 है। यह देश अपनी अद्भुत छटा के लिए जाना जाता है। यह पर्यटकों का भी आकर्षण का केंद्र है। यहाँ पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई रमणीय जगह है। अंडोरा की घटियो को रिआसत कहा जाता है। यह पश्चिमी यूरोप का एक छोटा सा देश है। यह यूरोप का छोटा से छोटा छठा देश है। यहाँ की मुख्य भाषा कातालान है। वैसे यहाँ स्पेनी फ्रांसीसी, पुर्तगाली भाषा भी आमतौर पर बोली जाती है।
यहाँ चार नदियाँ और झीलों के कई पहाड़ है। जो पर्यटकों का मन मोह लेती है।

यह अंडोरा का संता कोलोम का चर्च है। यह देश की राजधानी अंडोरा ला वेला के सबसे पुराने नगर में स्थित है। यह चर्च 9 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

अंडोरा में एक स्की स्थल है। इसकी ऊंचाई 2560 मीटर है। इसे अरिन्सल (arinsal) का स्की स्थल कहते है। यह La Massana में स्थित है। यह पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है।

Monday, May 31, 2010

आइल ऑफ़ मैन का सबसे ऊँचा शिखर Snaefell है। इसकी ऊंचाई 621 मीटर है। इसे हिम पर्वत भी कहते है। यह डगलस के 15 किमी. उत्तर में स्थित है। यह शिखर पर्यटकों की पसंदीदा शिखर है।




आइल ऑफ़ मैन ( isle of man) यूरोप का एक छोटा सा देश है। इसकी राजधानी डगलस है।
यहाँ की कुछ तस्वीरे-
यहाँ पर पाए जाने वाला अनोखे रंग का तोता(parrot)

पर्यटकों की विशेष पसंदीदा जगह है आइल ऑफ़ मैन
572 वर्ग किलोमीटर में फैला यह देश अपनी अद्भुत छटा के लिए जाना जाता है। यहाँ की कुल जनसख्या (2009) 75049 है।

Friday, May 14, 2010

पथिक तू उठ
ऐ पथिक तू उठ
एक सुबह तेरे तलाश में है
कुछ कर दिखा कुछ कर दिखा
तेरी जिंदगी इस आस में है
तू गिरा तो क्या हुआ
अब तुझे तो उठना है
हर घड़ी अब कह रही है
अब तुझे तो उठना है
जिन्दगी से मत घबरा
जब तक तन में श्वांस है
ऐ पथिक तू उठ
एक सुबह तेरे तलाश में है
एक जूनून होता है कुछ कर दिखने का
एक जज्बा होता है कुछ बताने का
वो जूनून, वो जज्बा कायम रख
जब तक मन में प्यास है
ऐ पथिक तू उठ
एक सुबह तेरे तलाश में है

Wednesday, May 12, 2010

जब हम छोटे थे तो हमारी टूटी फूटी बातो को कोई नहीं समझ पता था तब एक हस्ती थी जो हमारे टूटे फूटे अल्फाजो को समझ जाती थी
आज उसको हम कहते है की आप नहीं समझ सकती
आप को कुछ नहीं पता है
आप की बाते हमें समझ में नहीं आती
शायद एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई जब
एक बार मै उससे बोला था की माँ मुझे डर लग रहा है