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Thursday, December 9, 2010

असांज या सद्दाम
अपनी सनक की हद में जिस तरह जॉर्ज बुश ने इराक के शासक सद्दाम हुसैन को विलेन ठहराते हुए मार डाला था, आज कुछ वैसा ही माहौल विकीलीक्स के संसथापक जूलियन असांज के खिलाफ बनाने की कोशिश
हो रही है। विकीलीक्स पर हुए खुलासों के बाद अंदर से बुरी तरह भयभीत अमेरिका को इस समस्या का हल किसी भी तरह असांज से छुटकारा पाने में नजर आ रहा है। इसके लिए वह अपने मित्र देशों से मदद की अपेक्षा कर रहा है। कनाडा के पीएम के सलाहकार टॉम फ्लेनेगन ने अमेरिका के इस रुख की पुष्टि यह कहकर की है कि असांज की हत्या कर देनी चाहिए। अब लंदन में हुई असांज की गिरफ्तारी इसकी अगली कड़ी है। इस गिरफ्तारी को भले ही उन पर चल रहे रेप के केस से जोड़ा गया है पर क्या अमेरिका दुनिया को यह मानने के लिए राजी कर पाएगा कि इसकी वजह वह नहीं है जो बंद आंखों से भी सबको दिख रही है। सच यही है कि विकीलीक्स पर जारी लाखों दस्तावेजों से दुनिया के साथ डिप्लोमेसी के नाम पर किया जा रहा अमेरिका का छल बाहर आ गया है और अब उससे मुंह छिपाते नहीं बन रहा है। विकीलीक्स की वेबसाइट पर हमले करवाने, उसे कुछ समय के लिए बंद करवाने से लेकर वह अपने पक्ष में कई बड़े नेताओं के बयान दिलवा कर देख चुका है पर इन उपायों से भी उसे अपने लिए पैदा हो चुके कूटनीतिक संकट का हल होते नहीं दिख रहा है। असांज ने साबित कर दिया है कि राजनय व गोपनीयता के नाम पर बड़ी ताकतें असल में अपना ही स्वार्थ साधना चाहती हैं। उन्हें अपनी जनता और देश-दुनिया की सुरक्षा व आजादी की कोई परवाह नहीं होती। असांज ने जिस तरह बेखौफ होकर अमेरिका जैसी ताकत से टकराने की कोशिश की है उससे लोगों को डिमोक्रेसी का सही मतलब और उसकी ताकत का अहसास हो सकता है। साथ ही अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसका पता चल गया है कि अगर उनकी सरकारें हर मामले में गोपनीयता बरतने का नाटक करती हैं, तो यह उन पर ही भारी पड़ सकता है। अब आम लोगों को भी यह महसूस होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी और सूचना के अधिकार का कितना महत्व है। इनका सही उपयोग हो तो इनके जरिए वे दुनिया को सही दिशा में ले जा सकते हैं। असांज और उन जैसे सतर्क व जागरूक लोगों के साथ खड़े होकर दुनिया बदलने वाली इस मुहिम को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

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