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Thursday, January 20, 2011

अनेक प्रयासों के बावजूद भी मानव अधिकारों का हनन नही रूक रहा है। आये दिन होते मानव अधिकारों के हनन का ही परिणाम है भ्रष्टाचार। जो कि समाज मे पूरी तरह से अपनी जड़े जमा चुका है और भ्रष्टाचार को मिटाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है। देश मे भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया है कि केन्द्र सरकार के मंत्री तक इससे अछूते नही रहे हैं तो राज्य सरकार के मंत्री और थाना प्रशासन की बात तो बहुत दूर है। आज भी देश की अधिकांशत: जनता अपने मानव अधिकारों से अनभिज्ञ है और जनता की अनभिज्ञता का गलत फायदा भ्रष्टाचारी उठाते है। सही को गलत, गलत को सही बनाना, पीड़ित को अपराधी तथा अपराधी को पीड़ित बनाना यह तो देश की पुलिस का बांये हाथ का खेल हो गया है। जांच के नाम पर तथा भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर अधिकारी, कर्मचारी यही अहसास कराते है। यह सब शासन के शासनकर्ताओं के संरक्षण मे ही किया जा रहा है। चुनाव के वक्त जो प्रत्याशी मंत्री, विधायक , सांसद बनने के लिए जनता के हाथ-पैर जोड़ते है। विकास कार्य के आश्वासन देते है बाद मे यही प्रत्याशी जीतने के बाद क्षेत्र के दौरे तक के लिए नही आते है। बल्कि भ्रष्टाचार के रूप मे सांसद, मंत्री, तथा विधायकों के नाम भी सर्वप्रथम जनता के बीच उजागर होते है। देश के जिम्मेदार अधिकारी, मंत्री, सांसद तथा विधायक जैसे लोग भ्रष्टाचार मे लिप्त हो तो यह बहुत ही शर्मनाक व सोचने का गंभीर विषय है। भ्रष्टाचार के चलते मानव अधिकारों के उल्लंघन तथा अन्य घोटाले जैसे कृत्यों को मीडिया जनता के सामने रखने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब तक मानव अधिकारों का हनन नही रूकेगा तब तक न तो पीड़ितो को न्याय मिलेगा और न ही देश से भ्रष्टाचार मिटेगा। क्योंकि भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार की आग मे मानव अधिकारों को जलाकर भस्म कर देते है। महिलाओं के साथ भी आये दिन अन्याय होते है। दहेज के लिए महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है। दहेज लोभी लोग दहेज के लिए महिलाओं को हिंसा की आग मे झोंक देते है। और उन्हे आत्महत्या के लिए विवश किया जाता है। महिलाओं तथा छोटी-छोटी बच्चियों तक के साथ बलात्कार किया जाता है। हमारे देश के कर्णधारों ने देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराते वक्त देश का ऐसा स्वरूप तो नही सोचा था। देश के कर्णधारों ने तो देश को अग्रेजो की गुलामी की जंजीर से आजाद कराया था। किन्तु भ्रष्टाचार से देश को आजाद कराना बहुत मुश्किल व चुनौती पूर्ण है। परन्तु अंसंभव नही है। इसके लिए देश की जनता को एकजुट होकर आगे आना होगा। जब भी समाजसेवी तथा मानव अधिकार रक्षक मानव अधिकारों के हनन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते है तो भ्रष्टाचारी व बाहुवालियों द्वारा उन्हे रोका जाता है। इसी कारण कभी -कभी समाजसेवी तथा मानव अधिकार रक्षकों की जान पर भी बन आती है। राज्यसभी तथा विधान परिषद आदि मो जो पद समाज सेवियों आदि के लिए होते है परन्तु भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप यह सभीपद बाहुबली पार्टी या उद्योगपतियों को दे दिये जाते है। यदि वास्तव मे भ्रष्टाचार को देश से मिटाना है तो ईमानदार व सच्चे समाज सेवियों की हिस्सेदारी सरकार मे करनी चाहिए। और वह भी औपचारिकता के रूप मे नही बल्कि वास्तविकता मे केन्द्रीय सरकार तथा आयोग को समाज सेवियों व मानव अधिकारों रक्षकों के लिए समाज हित मे कार्य करने हेतु एक अलग पहचान पत्र की व्यवस्था करनी चाहिए तथा समाजसेवियों व मानव अधिकार रक्षकों के परिवार के भरण-पोषण व बच्चों की शिक्षा-दिक्षा के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए। भ्रष्टाचार देश की उन्नति मे सबसे बड़ी बाधा है। समय रहते हमे मिलकर इस समस्या का निराकरण करना होगा। तभी हमारा देश पूरी तरह से विकसित देशों की श्रेणी मे अपनी जगह बनाने मे सफल होगा।


rajan kumar
www.ihrpc.org

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