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Wednesday, May 12, 2010

जब हम छोटे थे तो हमारी टूटी फूटी बातो को कोई नहीं समझ पता था तब एक हस्ती थी जो हमारे टूटे फूटे अल्फाजो को समझ जाती थी
आज उसको हम कहते है की आप नहीं समझ सकती
आप को कुछ नहीं पता है
आप की बाते हमें समझ में नहीं आती
शायद एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई जब
एक बार मै उससे बोला था की माँ मुझे डर लग रहा है

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