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Friday, May 14, 2010

पथिक तू उठ
ऐ पथिक तू उठ
एक सुबह तेरे तलाश में है
कुछ कर दिखा कुछ कर दिखा
तेरी जिंदगी इस आस में है
तू गिरा तो क्या हुआ
अब तुझे तो उठना है
हर घड़ी अब कह रही है
अब तुझे तो उठना है
जिन्दगी से मत घबरा
जब तक तन में श्वांस है
ऐ पथिक तू उठ
एक सुबह तेरे तलाश में है
एक जूनून होता है कुछ कर दिखने का
एक जज्बा होता है कुछ बताने का
वो जूनून, वो जज्बा कायम रख
जब तक मन में प्यास है
ऐ पथिक तू उठ
एक सुबह तेरे तलाश में है

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